हरीराम जी महाराज की कथा
नमस्कार दोस्तों आज में आपको राजस्थान के लोक देवता बाबा हरीराम जी महाराज की कहानी बताऊंगा ओर उनके जीवन में घटित कुछ महत्पूर्ण बाते बताऊंगा ।
हरीराम जी के परिवार का पूर्ण परिचय:- हरीराम जी पंड्या ब्राह्मण थे हरीराम जी के पिता का नाम रामरतन ओर माता का नाम चदनी देवी था हरीराम जी के भाई का नाम मांगीलाल था हरीराम जी के गुरु का नाम भुरा राम था हरीराम जी के गांव का नाम झोरड़ा था जो कि सुजानगढ़ और नागौर के बीच में पड़ता है हरी राम जी सर्पो के देवता के रूप में पूजे जाते हैं
एक बार की बात है हरीराम के गांव में संत भुरा राम जी सत्संग कर रहे थे तो वहां हरी राम जी भी चले गए और उनसे सत्संग सुनने लगे जब सत्संग पूरा हुआ तो सभी लोग चले गए पर हरीराम जी वहा ही रहे जब भूराराम जी ने पूछा तो हरीराम जी ने कहा कि गुरुजी मुझे सर्पो के दंस का इलाज बता दीजिए एक बार तो भूराराम जी ने मना कर दिया पर हरीराम जी के बार बार विनती करने पर भूराराम जी ने हरीराम जी को सर्प दंश का इलाज बता दिया
हरीराम जी के पिता को ये इलाज करना उनका सत्संग में जाना अच्छा नहीं लगा तो हरीराम जी को घर से निकाल दिया हरीराम जी गांव के बाहर एक टीले पर अपनी कुटिया बनाई ओर वहा पर लोगो का इलाज करने लगे
एक दिन उनके मित्र उनसे मजाक करने लगे कि हरीराम तुम यहां मन्दिर भी बनावो तब हरीराम जी ने अपने मित्रो से कहा कि आज से एक साल बाद सिरोही में एक तारा चंद सेठ के लड़के को सर्प काटेगा ओर उनका इलाज में करूंगा और वो ही यह मंदिर बनाएंगे
एक साल बाद वहीं हुआ सिरोही के तारा चंद सेठ के लड़के को सर्प दंश हो गया उनका इलाज कहीं नहीं हुआ किसी ने उनको बता दिया कि तुम झोटडा जावों वहा इलाज हो जाएगा सेठ वहा आया और उनके लड़के का इलाज हो गया फिर सेठ ने हो हरीराम जी का मंदिर बनाया
आज भी सुजानगढ़ नागौर रोड के उपर झोटडा गांव में हरीराम जी का मंदिर है ओर राजस्थान के कोने कोने में हरीराम जी के मंदिर है ओर हरीराम जी को पूजा जाता हैं
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