नमस्कार दोस्तों
आज में आपको राजस्थान कि एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा जो इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गई है जी हां दोस्तो आज में आपको जानी चोर छत्री सुल्तान निहालदे की कथा सुनाऊंगा
छत्री सुल्तान की कथा
तो दोस्तो राजस्थान के किंचकगढ़ में राजा मैनपाल का राज था मैनपाल के पिता का नाम चकवबेन था और राजा मेनपाल के पुत्र का नाम छत्री सुल्तान था छत्री सुल्तान के बचपन का एक मित्र था जिसका नाम जानी था मगर किन्हीं कारणों से जानी चोरी करने लगा इसलिए उसका कोई ठिकाना नहीं रहता था ! आज यहां तो कल वहा
छत्री सुल्तान बहुत ही खूबसूरत था छत्री सुल्तान पर एक लड़की का दिल आ गया उस लड़की ने छत्री सुल्तान से शादी करने को कहा पर मगर सुल्तान ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया
लड़की ने सुल्तान से बदला लेने का मन बना लिया उस लड़की ने राजा मैन पाल के पास जाकर छत्री सुल्तान पर झूठे आरोप लगा दिए इससे राजा मैनपल क्रोधित होकर छत्री सुल्तान को 12 साल का देश निकाला दे दिया
छत्री सुल्तान किंचक गढ़ से केशवगढ़ चला गया और वहां पर नोकरी करने लगा केशवगढ़ के राजा का लड़का एक आंख से अंधा था उस लड़के की शादी का प्रस्ताव आया राजा ने सोचा कि अगर में अपने इस लड़के को शादी में लेकर जाऊंगा तो मेरी हंसी हो जाएगी
तो राजा ने अपने नौकर छत्री सुल्तान को ये बात बताई कि तुम्हे शादी करनी है मगर शादी होने के बाद तुम यहां से चले जाओगे छत्री सुल्तान ने हामी भर दी छत्री सुल्तान की शादी निहालदे से हो गई मगर छत्री सुल्तान ने उसी वक्त निहालदे को सारी बात बता दी और कहा कि अगर तुम्हे केसवगढ़ के राजकुमार के साथ जाना है तो चली जाओ और अगर तुम्हे मेरे साथ रहना है तो तुम यहीं अपने मायके में रहो में 12 साल बाद आऊंगा तुम और तुम्हे यहां से ले जाऊंगा में यहां नहीं रुक सकता क्योंकि मैंने केशवगढ़ के महाराज को वचन दे दिया है कि में यहां से चला जाऊंगा
निहाल दे ने कहा कि मेरी शादी आपसे हुई है में किसी और के साथ नहीं जा सकती में आपका इंतजार करूंगी छत्री सुल्तान वहा से नरवलगढ़ आ गया नरवल गढ़ के राजा का नाम था ढोला और रानी का नाम मारू था राज काज का सारा भार रानी मारू पर ही था वहा एक अत्याचारी डाकू का खौफ था छत्री सुल्तान की वहा जाते ही उस डाकू से भेंट हो गई और उसे मार दिया और उसके कान काटकर अपने पास रख लिया जब पूरे नगर में ये बात पता चली कि डाकू मारा गया और उसके कान मारने वाले ने काट लिया तो नरवल गढ़ की महारानी ने हुकुम दिया कि जो भी डाकू के कान लेकर आएगा उसे राज्य का मंत्री बना देंगे छत्री सुल्तान ने उसके कान ले जाकर मारू को दिए तो मारू ने उसको नरवलगढ़ का मंत्री बना दिया और मारू छत्री सुल्तान की धर्म बहन बन गई
छत्री सुल्तान वहा ही रहे जैसे ही 12 साल बीते निहालदे को पता चला गया कि छत्री सुल्तान मारू के यहां मंत्री पद पर है तब उन्होंने मारू को पत्र लिखा कि मेरा पति आपके पास है उन्हें भेजो तब छत्री सुल्तान मारू से ये कहकर आ गया कि मारू जब भी तुम्हारे बच्चो की शादी हो मुझे याद कर लेना
कई वर्षों बाद मारू की लड़की कि शादी तय हो गई तो मारू ने अपने पति ढोला से कहा कि में छत्री सुल्तान को भात नुत कर आऊंगी तो ढोला ने मारू से ये कह दिया कि उसके पास देने को क्या है जो तुम उसे भात नुत कर आ रही हो मारू ने कह दिया कि आपके जैसे तो छत्री सुल्तान के बगो का माली है और मेरी जैसी छत्री सुल्तान के पानी भरने वाली है इस बात से ढोला नाराज हो गया उसने मारू से कह दिया अगर ऐसे नहीं हुए तो में तुम्हे वहा ही छोड़कर आऊंगा मारू ने कहा ठीक है
अब मारू ने छत्री सुल्तान को एक पत्र लिखा कि भाई में तुम्हे भात नूतन आ रही हूं पर मैंने मेरे पति से ये कह दिया है कि मेरी जैसी तो तेरे पानी भरती है और मेरे पति जैसे सब्जी बेचने वाले है मेरे ये दोनों काम कर देना वरना मुझे मेरा पति वहीं छोड़ कर आ जाएंगे
छत्री सुल्तान ने अपने मित्र ज्यानी चोर को बुलाया और सारी बात बता दी जानी चोर ने कहा कि देख सब्जी बेचने वाला में बन जाऊंगा और तुम अपनी पत्नी को पानी भरने वाली बना देना जब ढोला ओर मारू उनके राज्य में आए तो जानी को फल और सब्जियां बेचने वाला बना के उनके पास भेज दिया मारू ने दिखा दिया कि देख तुमसे भी आच्छा है ये फल बेचने वाला मारू का एक वचन पूरा हो गया अब थोड़ी देर बाद निहाल दे पानी भरने वाली बन कर आ गई तो मारू ने उनको भी दिखाया और ढोला से कहा मुझसे भी ज्यादा सुंदर ये छत्री सुल्तान के पानी भरने वाली है मारू के दोनों वचन पूरे हो गए अब मारू भात नुत कर चली गई
छत्री सुल्तान और जानी चोर मारू के भात भरने के लिए चल पड़े रास्ते में अदली गढ़ के पास एक नदी थी दोनों मित्र नदी के किनारे आराम करने के लिए रुके वहा छत्री सुल्तान नदी में पानी पीने के लिए गया उसे नदी में बहता हुआ ताम्र पत्र मिला उसने उठा कर पढ़ा ताम्र पत्र में लिखा हुआ था में मेरा नाम महक दे है में राजा अदली खान पठान की कैद में हूं जिस किसी को भी ये ताम्र पत्र मिले वो पहले मुझे बचाए
छत्री सुल्तान चिंता में पड़ गया तो जानी चोर ने कहा सुल्तान तुम जाओ मारू के भात भरो में महक दे को छुड़ा कर लाता हूं फिर जानी चोर आदली गढ़ में जाकर महक दे रानी को छुड़ाकर लाया और मारू के दोनों मित्र मिलाकर भात भरे
ये कहानी बिल्कुल सत्य है जिसके प्रमाण राजस्थान में मिलते है तो दोस्तो कैसी लगी आपको ये कहानी नीचे कॉमेंट में जरुर बताए और इसी तरह के पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवा