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बर्लिन की दीवार का उदय और अंत :-
आप अंदाजा लगाए की आप अपने शहर में रहते है एक दिन आप उठे और आपके घर के बाहर बहुत बड़ी दीवार खड़ी कर दी गई है इस दीवार को आप क्रॉस नहीं कर सकते और आपका शहर इस दीवार के कारण 2 हिस्सो मे बंट गया है एक ऐसी ही परिस्थिति हुई थी बर्लिन में रहने वाले लोगों के साथ जब एक दिन अचानक रात में बर्लिन शहर को दीवार खींच कर 2 हिस्सो मे बांट दिया गया था और उस दीवार को कोई क्रॉस नहीं कर सकता था बर्लिन के हिस्से में रहने वाले लोग दीवार के उस तरफ दूसरे हिस्से में आ जा नहीं सकते थे आज की इस पोस्ट में हम पूरे विस्तार से इस दीवार के उदय और अंत के बारे में जानने तो चलिए शुरू करते है हमारी आज की पोस्ट बर्लिन की दीवार का इतिहास
बर्लिन की दीवार का उदय / Rise of berlin wall in hindi :-
बर्लिन की दीवार के बारे में आपने बहुत सुना होगा और अपनी इतिहास की किताबो में पढ़ा भी होगा मगर सटीक बात शायद ही आपको पता हो तो चलिए बर्लिन की दीवार के उदय के बारे में हम आपको बताते है दरअसल कहानी की शुरुवात होती है दूसरे विश्व युद्ध के अंत के समय से जब जर्मनी इस युद्ध में हार गया था और Allied forces की जीत हो चुकी थी Allied Forces में जो देश मुख्य भूमिका में थे वो थे रूस ब्रिटेन फ्रांस और अमेरिका जर्मनी के इस युद्ध में हार जाने के कारण अब जर्मनी पर Allied Forces का दबदबा हो गया मगर इन Allied forces में भी धुव्रीकरण हो रहा था जिनमे से एक तरफ रसिया था तो दूसरी तरफ अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस
ज्यादातर लड़ाइयों मे यही होता है कि जितने वाला देश हारने वाले देश को किसी तरह अपने अधिकार में रखना चाहता है और यहां जितने वाले 4 देश थे और इन चारो देशों मै भी आपस में नहीं बनती थी रूस जर्मनी पर अपने मन मुताबिक शासन करना चाहता था तो ब्रिटेन फ्रांस और अमेरिका अपने मन मुताबिक इस वजह से जर्मनी के 2 हिस्से हो गए एक हिस्सा रूस के अधिकार में था तो एक हिस्से ब्रिटेन फ्रांस और अमेरिका के हिस्से में । मगर रूस के हिस्से में जो जर्मनी का भाग था उस भाग में ही जर्मनी की राजधानी ब्रलिन भी था और बर्लिन शहर के भी एक हिस्से पर रूस का दबदबा था तो दूसरे हिस्से पर अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस का । जब जर्मनी के 2 हिस्से हुए थे तो एक हिस्सा वेस्ट जर्मनी और एक हिस्सा ईस्ट जर्मनी था वेस्ट जर्मनी पर फ्रांस अमेरिका और ब्रिटेन का शासन था तो ईस्ट जर्मनी पर रूस का ।
अब हुआ ये की जो जर्मनी के जिस भाग पर अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस का अधिकार था वहा लोगो को रोजगार और अन्य नौकरियों के अवसर मिल रहे थे मगर जिस हिस्से पर रूस का अधिकार था उस हिस्से में रूस लोगो को ना तो कोई जॉब दे रहा था ना ही कोई रोजगार के अवसर । इस बात से दुखी होकर लोग रोजगार के लिए ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में जाने लगे 1949 से लेकर 1961 के बीच में लगभग 30 लाख लोग ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में चले गए और ये संख्या जर्मनी की उस वक्त की आबादी का 20 % हिस्सा थी इस बात से रूसी हाई कमान चिंता मे आने लगी और इसने एक उपाय निकला
रूस ने ईस्ट जर्मनी के पूरे बॉर्डर को शिल कर दीय और कंटीले तारो कि तारबंदी कर दी और बॉर्डर पर गार्ड्स भी खड़े कर दिए ताकि लोग ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में ना जा पाए बॉर्डर शील होने के कारण लोग वेस्ट जर्मनी नहीं जा पा रहे थे मगर लोगो ने इसका उपाय निकाल लिया वो पहले ब्रिलन के उस हिस्मे में आते जिस हिस्से में वेस्ट जर्मनी का अधिकार है अर्थात वेस्ट बर्लिन में आते और यहां से ट्रेन पकड़ कर वेस्ट जर्मनी में चले जाते थे इस समस्या को सुलझाने के लिए रूस ने 12 अगस्त 1961 को पूरे बर्लिन शहर के जिस हिस्से पर रूस का कब्जा था वहा रातों रात एक तारो से दीवार बना दी रूस ने हर उस हिस्से को पैक कर दिया जहा से ईस्ट बर्लिन से वेस्ट बर्लिन जाया जा सके धीरे धीरे उन तारो की जगह उची और मोटी दीवार बना दी ताकि ईस्ट बर्लिन से वेस्ट बर्लिन में बिल्कुल भी नहीं जाया जा सके इस प्रकार बर्लिन की दीवार का 12 अगस्त 1961 को उदय हुआ
बर्लिन की दीवार का अंत / Fall of berlin wall in hindi :-
जब बर्लिन के बीचों बीच दीवार खड़ी कर दी गई थी और और लोगो को ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में जाने से रोका जा रहा था तो लोग विरोध करने लगे रूस ने बहुत से विरोधो को कुचला भी दिया मगर रूस पर दबाव बढ़ने लगा और अन्तर्राष्ट्रीय दबाव और लोगो के विरोध को देखते हुए ईस्ट जर्मनी की सरकार ने लोगो को ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में जाने के लिए कुछ आसान काम करना चाह रही थी ताकि लोग ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में जाया जा सके
ईस्ट जर्मनी की सरकार ने अपने इस बात को लोगो को बताने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और इस प्रेस कांफ्रेंस मे बताया यह जाना था कि ईस्ट जर्मनी की सरकार वेस्ट जर्मनी में जाने के लिए लोगो को छूट देने वाली है मगर इस प्रेस कांफ्रेंस में सरकार के वक्ता से गलती से यह निकल गया कि आज से ईस्ट जर्मनी से वेस्ट जर्मनी में कोई भी बिना रोक टोक के जा सकता है यह बात पुरे मीडिया में फ़ैल गई और लोग की भीड़ बर्लिन की दीवार पे इक्कठी होने लगी और उस दीवार को गिराने लगी अंततः 8 नवम्बर 1989 को गलत प्रेस कांफ्रेंस के कारण बर्लिन की दीवार गिरा दी गई इस तरह बर्लिन की दीवार का अंत हुआ
तो दोस्तो आपको ये पोस्ट कैसी लगी हमे कॉमेंट करके जरुर बताए मिलते है अगले किसी और पोस्ट में तब तक के लिए जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम